- पूर्व में किया जा चुका है ऐसा प्रयोग
- नदियों के नाम पर रखे गए थे टेंट्स के नाम
खान आशु
भोपाल। जल है तो कल है… की धारणा के साथ मप्र सरकार जल गंगा संवर्धन अभियान चला रही है। नदियों का मायका है, की भावना के साथ प्रदेश की नदियों को सम्मान भी दिया जा रहा है। जल के समुचित उपयोग और इससे सबको फायदा पहुंचाने के प्रयास के साथ नदी जोड़ो जैसी कई योजनाएं प्रदेश में आकार ले रही हैं। ऐसे में मक्का मदीना में मौजूद अपने देश की संस्कृति, यहां के रिवाज और इसकी उपलब्धता के लिए अल्लाह का शुक्र अदा करें। अपनी धरोहर को उस पाक सरजमीं पर याद करें और उनकी बेहतरी की दुआ के लिए हाथ उठाएं, ऐसे प्रयास और व्यवस्थाएं किए जाने की उम्मीद लगाई जाने लगी है। पूर्व में इस तरह की कोशिश और कवायद की जा चुकी है। तत्कालीन मप्र हज ऑफिसर सैयद शाकिर अली जाफरी ने इसको अंजाम दिया था। उन्होंने हज के दौरान मीना और मुजदलफा में बनने वाली टेंट सिटी को प्रदेश और देश की नदियों के नाम दिए थे।
करीब चार साल पहले हज सफर के दौरान मप्र हज कमेटी की तरफ से एक अनोखा प्रयोग किया गया था। तत्कालीन हज ऑफिसर सैयद शाकिर अली जाफरी ने इसकी कवायद की थी। इस दौरान कोसों दूर पहुंचे भारतीय हाजियों को अपने देश की संस्कृति और पहचान के दीदार मीना की टेंट सिटी में देखने को मिले थे। यहां ठहरने के लिए बनाए गए खेमों को अपने देश की प्रसिद्ध और धार्मिक महत्व रखने वाली नदियों गोदावरी और कावेरी का नाम दिया गया था। गौरतलब है कि हज के दौरान पांच दिन के अरकान पूरे करने के लिए हाजी इन खेमों में ही रुकते हैं।

गौरतलब है कि हज के अहम अरकानों में शामिल मीना और अराफात में पहुंचकर जरूरी क्रियाएं पूरी करने का खास महत्व है। इस्लामी नजरिये से इनके बिना हज अरकान पूरे नहीं माने जाते हैं। इस्लाम के इस अहम सफर के दौरान भारतीय आस्थाओं का प्रतीक मानी जाने वाली नदियों के नामों को शामिल किए जाने का प्रयोग मप्र की तरफ से किया जा चुका है। लेकिन इस सिलसिले को अगले सालों में गति नहीं मिल पाई।
यह बन सकती है दलील
संस्कृत के एक श्लोक का अर्थ है कि उपर्युक्त सभी जल से परिपूर्ण नदियां, समुद्र सहित मेरा कल्याण करें। हज के दौरान की जाने वाली क्रियाएं और उपक्रम भी शुद्धिकरण और कल्याण की मंशा के साथ ही किए जाते हैं। ऐसे में इस पवित्र सफर के दौरान अपने देश की परंपराओं को साथ जोड़कर कोई काम किया जाए तो इससे हमारी संस्कृक्ति और धार्मिक आस्थाओं का समागम भी बना रहेगा।
इस बार इसलिए जरूरी
मप्र सरकार ने प्रदेश में जल गंगा संवर्धन अभियान की शुरुआत की है। 30 मार्च से शुरू हुआ यह अभियान 30 जून तक जारी रहेगा। इस दौरान जल की आवश्यकता और इसके संरक्षण का महत्व लोगों को समझाया जा रहा है। सरकारी तौर पर गैर सरकारी संस्थाओं के अलावा आमजन का इससे जुड़ाव बनाया गया है। हज सफर के बीच मुख्य अरकान भी जून माह में ही होने वाले हैं। ऐसे में मक्का मदीना की पाक सरजमीं से पानी बचाने को लेकर बेहतर संदेश दिया जा सकता है।
रहता है सरकारी अंश शामिल
प्रदेश से करीब 8 हजार से ज्यादा अकीदतमंद इस साल हज सफर पर जाएंगे। इनकी देखरेख, मार्गदर्शन और सुविधाओं के लिए प्रदेश सरकार ने खादिम उल हुज्जाज भी भेजे हैं। इन सभी का खर्च और अन्य व्यवस्थाएं प्रदेश हज कमेटी के सालाना बजट और सरकारी खजाने से होती हैं। ऐसे में मप्र सरकार अपने इन कर्मचारियों को अपने एक अहम अभियान का हिस्सा बना सकती है।
इनका कहना
हज के दौरान प्रदेश और देश की संस्कृति एवं परंपराओं से जोड़ने के प्रयास किए गए थे। नदियों के नाम पर स्थापित की गई टेंट सिटी को देशभर में सराहा और पसंद किया गया था। जल गंगा संवर्धन अभियान के दौर में इस साल भी ऐसा प्रयोग किया जाए तो अच्छे परिणाम लिए जा सकते हैं।
सैयद शाकिर अली जाफरी
पूर्व सीईओ,
मप्र राज्य हज कमेटी एवं पूर्व स्टेट हज ऑफिसर
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